
चीन में एक पैरालाइज्ड व्यक्ति ने AI और ब्रेन-स्पाइन इंप्लांट की मदद से दोबारा चलना शुरू किया है। जानिए इस चमत्कारिक तकनीक के बारे में, जो मेडिकल साइंस में क्रांति ला सकती है।
चीन में AI तकनीक की मदद से पैरालाइज्ड व्यक्ति ने फिर से चलना सीखा
1.पैरालिसिस को चुनौती देती AI तकनीक: चीन का ऐतिहासिक प्रयोग
विज्ञान और टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बार फिर एक ऐसी खबर सामने आई है जो मानवता के लिए नई उम्मीदों को जन्म दे रही है। चीन के वैज्ञानिकों ने एक पैरालाइज्ड (निचले शरीर को लकवाग्रस्त) व्यक्ति को AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और ब्रेन-स्पाइन इंप्लांट की मदद से दोबारा चलने में सफलता दिलाई है। यह प्रयोग न सिर्फ मेडिकल साइंस में मील का पत्थर है, बल्कि उन लाखों लोगों के लिए आशा की किरण है जो स्पाइनल कॉर्ड इंजरी या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के कारण चलने-फिरने से वंचित हैं।
2.क्या है यह AI ब्रेन-स्पाइन इंप्लांट तकनीक?
इस इनोवेशन का मुख्य आधार ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) और स्पाइनल स्टिम्युलेशन है। इसमें मरीज के मस्तिष्क में एक छोटा सा इलेक्ट्रोड इंप्लांट किया गया, जो उसके “चलने के विचारों” को पकड़ता है। AI सॉफ्टवेयर इन सिग्नल्स को डिकोड करके स्पाइनल कॉर्ड के नीचे लगे दूसरे इंप्लांट को भेजता है। यह इंप्लांट स्पाइन के नर्व्स को एक्टिवेट करता है, जिससे पैरों की मांसपेशियों में गति पैदा होती है। यानी, मरीज के दिमाग का आदेश सीधे पैरों तक पहुँचता है, भले ही स्पाइनल कॉर्ड क्षतिग्रस्त हो!
कैसे हुआ यह चमत्कार? मरीज की कहानी
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह प्रयोग चीन के एक प्रमुख न्यूरोसाइंस रिसर्च सेंटर में किया गया। मरीज एक युवक था जिसकी स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के बाद से निचला शरीर पैरालाइज्ड था। सर्जरी के बाद, उसके मस्तिष्क में लगे इलेक्ट्रोड्स ने उसके “चलने के इरादों” को रिकॉर्ड किया। AI ने इन सिग्नल्स को रियल-टाइम में प्रोसेस करके स्पाइनल इंप्लांट को एक्टिवेट किया। कुछ ही हफ्तों की ट्रेनिंग के बाद, वह वॉकर की मदद से चलने लगा!
इस सफलता का श्रेय न्यूरोसाइंस, रोबोटिक्स और AI के कॉम्बिनेशन को जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक अब तक के सबसे एडवांस्ड ब्रेन-मशीन इंटरफेस में से एक है।
Chinese surgeons implant spinal chip that bypasses damaged areas, restoring nerve signals
Patient, paralyzed for 2 years, takes steps just 15 days post-surgery pic.twitter.com/5YezupRH2g
— RT (@RT_com) March 26, 2025
क्यों है यह खोज इतनी महत्वपूर्ण?
- स्पाइनल इंजरी का पहला स्थायी समाधान: पारंपरिक फिजियोथेरेपी या दवाओं से स्पाइनल कॉर्ड को रिपेयर करना असंभव माना जाता था। यह तकनीक बिना नर्व्स रिपेयर किए ही ब्रेन और बॉडी के बीच कनेक्शन रिस्टोर करती है।
- AI की बढ़ती भूमिका: यह केस दिखाता है कि AI सिर्फ डाटा एनालिसिस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव शरीर को “रीप्रोग्राम” करने की क्षमता रखता है।
- जीवन की गुणवत्ता में सुधार: चलने के अलावा, यह तकनीक मरीजों को ब्लैडर कंट्रोल, ब्लड सर्कुलेशन और मांसपेशियों के डैमेज को रोकने में मदद कर सकती है।
भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियाँ
शोधकर्ताओं का मानना है कि अगले 5-10 सालों में यह तकनीक व्यापक रूप से उपलब्ध हो सकती है। हालाँकि, कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- लागत: फिलहाल, यह प्रक्रिया बेहद महंगी है।
- सर्जिकल रिस्क: मस्तिष्क और रीढ़ में इंप्लांट लगाने के जोखिम।
- एथिकल चिंताएँ: AI के मानव शरीर पर नियंत्रण को लेकर बहस।
लेकिन, इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि विज्ञान असंभव को संभव बना सकता है। भविष्य में, यह तकनीक पार्किंसंस, स्ट्रोक या अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में भी कारगर हो सकती है।
4. A paralyzed man can walk thanks again to AI.
Swiss scientists have helped a paralyzed man regain control over his lower body with the help of AI.
They created a “digital bridge” between the man’s brain and spinal cord, bypassing injuries. pic.twitter.com/wR0hGO7oyb
— Rowan Cheung (@rowancheung) May 27, 2023
निष्कर्ष: आशा की नई किरण
चीन का यह प्रयोग न सिर्फ मेडिकल साइंस, बल्कि मानव इच्छाशक्ति की जीत है। AI और न्यूरोटेक्नोलॉजी के इस युग में, हम उन समस्याओं का हल ढूंढ रहे हैं जिन्हें कभी लाइलाज माना जाता था। जैसे-जैसे यह तकनीक और विकसित होगी, हमें उम्मीद है कि दुनिया भर के लाखों पैरालाइज्ड लोगों को एक नया जीवन मिलेगा।
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USEFUL DISCOVERY 🙂👌👍